प्रॉजेक्ट का नाम क्यों क्यों लड़की है, तो ‘क्यों’ से ही शुरुआत करना ठीक समझा। आपको दीवार पे टंगे, कांच के फ़्रैमों में और टेबल पे रखे फ़ोल्डर में जो कई रंगीन पन्ने दिख रहे हैं, वह है क्या और क्यों ज़रूरी है? यहाँ आपको कई खेल मिलेंगे। इनमें से कुछ खेल ऐसे होंगे जो आपने बचपन खेले है, और कई खेल नए लगेंगे। वैसे देखें तो इनको खेलके मज़ा आता हैं, पर थोड़ा गहराई में जाए तो देखेंगे, कि खेल एक बहुत महत्वपूर्ण और गंभीर क्रिया भी है। बच्चे खेल से ही अपनी समझने की क्षमता बनाते है, खेल समूहों को एकजुट करते है, खेल हमारे मन शरीर को रोज़मर्रा की ज़िन्दगी से एक अलग अनुभव देते है – हमारे रोज़ के मशीन जैसे होने को चुनौती देते है। जब इन खेलों को एक प्रक्रिया का रूप देकर बदलाव के लिए अमल में लाया जाने लगे, यह उपकरण-किट बन जाते है – निजी और सामाजिक परिवर्तन के।
इस ब्लॉग के ज़रिये, मैं आप तक इन खेलों की संभावनाएं खोलने की कोशिश करुँगी। यह मैं दो प्रकार से करुँगी,
१. रोज़ बदलते उपकरण-किट के खेलों की संभावनाएं यहाँ लिखकर।
२. क्योंकि रंगमंच एक ज़िंदा शैली है, इस प्रदर्शनी के दौरान – एक समूह के साथ जेंडर पे केंद्रित एक वर्कशॉप किया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया और हम सभी साथियों के हाल, सवाल, और ख़याल यहाँ छापे जाएंगे – एक वर्कशॉप पत्रिका की तरह।
मैं इस सफ़र के लिए उत्साहित हूँ !
शुरू करें?